क्या बोलती माँ को (मार्मिक कहानी)

क्या बोलती माँ को (मार्मिक कहानी)

उस दिन छोटी बहन का जन्म दिन था. मैंने अपने पति से कहा के मैं अपनी मम्मी के घर जाना चाहती थी एक दिन के लिए.

मेरी बात मान तो गए लेकिन उन्होंने मुझसे कहा,"यहां घर में भी मम्मी डैडी के कान में ये बात डाल दे के तू मायके जाना चाहती है!"

जब सास ससुर से बात की तो हाँ ना का कोई जवाब नहीं आया. दोनों चुप से ही हो गए.

फिर मेरी सास ने कहा,"अभी पिछले हफ्ते ही तो गयी थी तुम मायके? इतनी जल्दी फिर क्यों?"

इससे पहले के मैं कोई जवाब देती मेरे मायके से फ़ोन आ गया.

मेरी मम्मी का फ़ोन. वो बोली,"छोटी के जन्मदिन का पूरा कार्यक्रम सिर्फ तेरे लिए ही रखा है."

मैंने बहाना बना दिया,"इनकी तबियत ख़राब है इसलिए नहीं आ सकूँगी!"

मेरी मम्मी ने कहा,"अच्छा तबियत खराब है? हम अभी आते हैं थोड़ी देर में."

मैंने फिर से एक बहाना बनाकर अपने मम्मी डैडी को आने से रोक दिया.

मम्मी ने फिर कहा,"अच्छा अब ये बता के तेरी तरफ से तेरी छोटी बहन को जन्म दिन का क्या तोहफा दे दें?"

मैंने कहा,"एक तोहफा है अगर आप लोग दे सकें तो?"

मम्मी उत्सुकता से बोली,"हाँ हाँ बता दे क्या दे दें?"

मैंने कहा,"अगर आज के बाद वो जब भी कोई इच्छा व्यक्त करे तो उसको आगे से ये कभी मत कहियेगा के शादी करके जब ससुराल जाएगी तो अपनी सभी इच्छाएं वहाँ पूरी कर लेना! "

मेरी आंखें नम थी पर मैंने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया था ताकि ससुराल का कोई सदस्य देख ना ले. मेरी माँ मेरी बात सुनकर हेलो हेलो ही कहती रह गयी और मैंने फ़ोन काट दिया.

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rajasharma

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