पत्नी बहुत अच्छी थी (यादों से एक सच्ची कहानी)

पत्नी बहुत अच्छी थी (यादों से एक सच्ची कहानी)

आपने मशहूर फिल्म अभिनेता सईद ज़ाफ़री जी के बारे में बहुत कुछ देखा सुना होगा.

ये भी हो सकता है के आपको उनकी बहुत सी फ़िल्में पसंद भी आयी हों.

उनको हिंदी फिल्म उद्योग में एक महान अभिनेता के रूप में याद किया जाता है.

आज हम आपको यहां उनकी डायरी का एक पन्ना सुनाने जा रहे हैं जो शायद आपकी ज़िन्दगी ही बदल देगा! आईये उनके ही शब्दों में सुनते हैं;

"मेरा जब मेहरुनिया से विवाह हुआ था तब मैं उन्नीस साल का और वो सत्रह साल की थी. बचपन से ही मुझे अंग्रेजी सभ्याचार ने बहुत प्रभावित किया था.

मैंने छोटी उम्र में ही अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी तौर तरीके, और रहन सहन के ढंग सीख लिए थे.

दूसरी तरफ मेरी पत्नी मुझसे बिलकुल ही विपरीत एक घरेलु औरत थी. मेरी सभी सलाहें, सभी शिक्षाएं के तरीके भी उसके विचार और व्यवहार को नहीं बदल सके.

भले ही वो एक बहुत अच्छी पत्नी थी, एक अच्छी माँ थी, और बहुत अच्छा खाना पकाती थी, पर वो वो नहीं थी जो मैं चाहता था.

मैं जितना उसको अपने तौर तरीको से बदलना चाहता था वो और भी अंदर अंदर ही खामोश होती जा रही थी

और कुछ ही समय में वो एक हंसती खेलती प्यार करने वाली जवान लड़की से एक चुप रहने वाली औरत बन गयी थी.

उन्ही दिनों मैं अपने साथ फिल्मो में काम करने वाली एक अभिनेत्री लड़की की तरफ आकर्षित होने लगा जो मेरे साथ शादी करना चाहती थी.

आखिर दस बरसों के बाद मैंने अपनी पत्नी को तलाक दे कर अपना घर छोड़कर उस फ़िल्मी अभिनेत्री से शादी कर ली.

जाने से पहले मैंने ये निश्चित किया के मेरी पत्नी या मेरे बच्चों को पैसे की कोई कमी ना रहे. लेकिन फिर आगे मैंने उनकी कोई खबर नहीं ली.

पर करीब सात महीनो के बाद मुझे एहसास हुआ के मेरी नयी पत्नी को मेरी बिलकुल परवाह नहीं थी.

उसको हमेशा अपनी सुंदरता की, अपने रूप की, और अपने फ़िल्मी करियर की और रुतबे की ज्यादा चिंता रहती थी.

तब मुझे मेरी पहली पत्नी के प्यार और स्नेह की कमी महसूस होने लगी. लेकिन फिर भी मैंने मुड़कर उसके पास वापिस जाने की कोई कोशिश नहीं की.

ज़िन्दगी बीतने लगी और मैं और मेरी दूसरी पत्नी एक ही घर में अजनबियों की तरह रहने लगे.

कुछ वर्षो के बाद मैंने एक मधुर जाफरी के बारे में पढ़ा जो एक बहुत तेज़ी से मशहूर हो चुकी शेफ या खाना पकाने वाली प्रोफेशनल थी.

उन्ही दिनों मधुर जाफरी की खाना पकाने की नयी विधियों की एक किताब प्रकाशित हुई थी.

जैसे ही मैंने उस किताब पर छपी फोटो देखी तो मैं हैरान रह गया क्योंकि वो तो मेरी पहली पत्नी मेहरुनिया थी. वो किताब मेरी पत्नी मेहरुनिया ने लिखी थी. लेकिन ये कैसे हो सकता था?

मेहरुनिया ने दूसरी शादी कर ली थी और अपना नाम मधुर जाफरी रख लिया था. उन दिनों में वो अमेरिका में रहती थी.

मैंने तुरंत अमेरिका का टिकट कटवाया और वहां पहुँच गया. उसका एड्रेस और फ़ोन नंबर खोजकर उसको फ़ोन करके मिलने की इच्छा जाहिर की. उसने साफ़ इंकार कर दिया.

पर तब तक मेरे बच्चे चौदह और बारह बरस के थे. बच्चों ने उनकी माँ को मना लिया के कम से कम एक बार मुझसे मिलना चाहिए.

पिछले सात सालों में मैंने उनकी शकल तक नहीं देखी थी.

उसका नया पति उसके साथ था और वो अब मेरे बच्चों का बाप था. मेरे बच्चो ने जो जो मुझे बताया उसको मैं आज तक नहीं भूला हूँ.

बच्चों ने मुझे बताया के उसके नए पति ने मेहरुनिया के सच्चे प्यार को समझा और उसको उस हाल में ही स्वीकार लिया जिस हाल में वो थी.

उसने कभी भी मेहरुनिया पर कोई दबाव नहीं डाला था. उसके नए पति ने मेहरुनिया को खुद ऊपर उठने का मौक़ा दिया था.

उसके आत्मविश्वास को बढ़ाया जिससे वो एक दिन आत्मनिर्भर औरत बन गयी. उसको आज पूरी दुनिया जानती है.

ये सब उसके नए पति के प्यार और उसको जैसे वो थी वैसे ही स्वीकारने के कारण ही संभव हुआ था.

अफ़सोस तो मुझे बहुत हुआ के मैंने इतनी अच्छी पत्नी को छोड़ दिया था पर खुश भी हूँ के आज मधुर जाफरी को दुनिया जानती है एक बहुत बड़ी शेफ के रूप में!

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rajasharma

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